सब स्वयंभू थे
कोई भी किसी दूसरे की ओर से
अधिकृत नहीं था
इसतरह
कुछ भी नैतिक नहीं था
सारे अधिकार ताकत से प्राप्त हुए थे
जो सबसे निरंकुश और मुक्त था
जो सबसे अधिक स्वच्छंद और
अपने निर्णयों और कार्यों के लिए
किसी के प्रति भी जवाबदेह नही था
ईश्वर की ओर से था
जिसके जबड़ों में मृत्यु थी
वह था ईश्वर का स्वयंभू
विषदन्तों वाले भी
और चींथते नखों वाले बाघ
आहार-श्रृंखला में
मुर्गियाॅ भी चीटियों और कीटों के लिए
मृत्यु प्रदाता प्रभु थीं
और आदमी मुर्गों और मुर्गियों के लिए
बेबस बकरियों का तो जैसे जन्म ही
प्रभु को प्यारे हो जाने के लिए हुआ था
दुनिया के सारे अपराधिक दुष्ट
और ईश्वर होने का अभिनय करते हुए
त्रासद और हिंसक इतिहास रचने वाले
हथियारबंद संगठनों के निर्णायक और विधाता
सारे अभिशापक प्रधान भी !
#ईश्वरतंत्त्र
रामप्रकाश कुशवाहा
08/01/2023