गुरुवार, 3 जनवरी 2019

जिन्दगी की नाव

जनाकांक्षाओं की भीड़
अलग-अलग दिमागों मे कैद है
जिन्दगी की नाव
समय की नदी में
कर्म के पतवार से ही
गति और दिशा  हासिल करती है
सारा जादू
अंगूठे और उंगलियों मे छिपा हुआ है
कर्म हाथों का गुणधर्म है
और कर्मरहित मनुष्य
अपनी सारी बौद्धिक क्षमताओं के बावजूद
संभावनाहीनता और अक्षमता मे कैद
डॉल्फिन बनकर रह जाता है ।

रामप्रकाश कुशवाहा
31-12-2018

जीवन-बोध

नश्वरताबोध  हमारे सांस्कृतिक चिन्तन की मूल  प्रेरणा है ।  प्रलय,कयामत,शून्य और अंधेरा आदि इस सृष्टि के पृष्ठभूमि स्तर के सच हैं इसके बावजूद सृष्टि सूर्य जीवन प्रकाश आदि उपस्थितियो का अपना महत्व है । विज्ञान भी प्रकृति के गुणधर्म और संभावनाओ का ही अध्ययन करता है । आविष्कार भी वही हो सकेंगे जिनकी प्रकृति अनुमति देगी ।रसायनों के यौगिक क्रिया-अभिक्रिया के रूप मे हमारी एक वैज्ञानिक इयत्ता भी है ।हम सभी का जीनकोड वैज्ञानिक दृष्टि से भी सुरक्षित और संरक्षित है । हमारा होना उतना मिथ्या और काल्पनिक भी नहीं। है जितना धर्म और मायावादी बतलाते हैं  । ऐसा      सोचना ताजे  खिले फूल को इसलिए कोसने जैसा है कि वह एक दिन मुरझा जाएगा । हमे जीवन का सम्मान करना चाहिए।

विचारहीन

जो सुखी है
मूर्ख है
यानि मूर्ख सुखी है
संतुष्ट हैं
जिन्हें सिर्फ
खाते- जीते और
समय पास करते हुए
जीने के नाम पर
सिर्फ मृत्यु की प्रतीक्षा करनी है
उनके लिए कोई विचार नहीं
सब बेमतलब
और निरर्थक है ।

रामप्रकाश कुशवाहा