मुझे बचपन कि... - Ramprakash Kushwaha
मुझे बचपन कि एक घटना याद् आती हैं..पिताजी जहाँ पढ़ते थे ,वहीँ हम बच्चों नें सीमेंट और बालू आदि निर्माण सामग्री लेकर एक शिव लिंग बनाया .वह इतना अच्छा बना था कि लडके-लड़कियाँ प्रणाम करके जाने लगे .एक दिन मैं अकेला ही बैठा था कि एक कुत्ते नें सूंघ कर एक पैर उठाया.पहले तो मैंने चेतावनी जारी की कि बचिएगा शंकर भगवान ! कि तभी जड़ पदार्थों से निर्मित भगवान की निरीहता मेरी समझ में आ गयी .मेरे मन में तभी यह भी कौंधा कि उन्हें बचाने कि शक्ति तो मैं भी अपन ही भीतर छिपाए यहाँ बैठा हूँ .बिना पल गवाए मुझे चारपाई से कुत्ते कि और कूदना पड़ा और शंकर भगवन भी भींगने से बाच गए .उस अनुभव नें इतना तो सिखा ही दिया कि किसी को भी पुकारने के पहले अपने भीतर कि शक्ति का भी आवाहन करा लेना चाहिए .क्या पता समस्या का इलाज अपनें पास ही हो
जीवन का रास्ता चिन्तन का है । चिन्तन जीवन की आग है तो विचार उसका प्रकाश । चिन्तन का प्रमुख सूत्र ही यह है कि या तो सभी मूर्ख हैं या धूर्त या फिर गलत । नवीन के सृजन और ज्ञान के पुन:परीक्षण के लिए यही दृष्टि आवश्यक है और जीवन का गोपनीय रहस्य । The Way of life is the way of thinking.Thinking is the fire of life And thought is the light of the life. All are fool or cheater or all are wrong.To create new and For rechecking of knowledge...It is the view of thinking and secret of life.
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