बुधवार, 9 जनवरी 2019

धार्मिक पाठ का सच


धार्मिक पाठ का सच

धर्माचार्यों और विचारधारावादियों का जीवन- बोध स्वस्थ नहीं होता । वे सच को छिपाकर एक काल्पनिक पाठ प्रस्तुत कर देते हैं  । राम-कथा को ही लें  तो उनका निरंकुश आदर्शवाद अमानवीय त्रसदियाॅ घटित करता जाता है ।
      राम मोहग्रस्त यानि आज के शब्दों मे अतिसंवेदनशील  पिता के स्पष्ट आदेश के वगैर वन को चल देते है और दशरथ की ह्रृदयगति बन्द होने से मृत्यु हो जाती है । आदर्शवाद की शुद्धता मे ही  पत्नी सीता का परित्याग करते हैं  । अन्त मे आदर्श के सैनिक अनुशासन मे ही भ्राता लक्ष्मण का परित्याग करते हैं  ।  लक्ष्मण आदर्श पर खरा न उतरने की आत्मग्लानि  लेकर सरयू में डूबकर आत्महत्या कर लेते है । स्वयं राम भी  पीड़ा न सह पाकर आत्महत्या  कर लेते है । रामकथा का साहित्यिक पाठ आदर्शवाद  के अतिरेक को क्रूर और अमानवीय बताता है जबकि धार्मिक पाठ बिना कोई सबक लिए स्वर्ग मे जाना घोषित करता है । इसी तरह सीताहरण  प्रसंग का साहित्यिक पाठ साधुओं पर विश्वास न करने का चेतावनीपूर्ण सन्देश देता है जबकि स्त्रियाँ इसे धार्मिक भक्ति भाव से पूरी श्रद्धा और विश्वास से सुनती हैं  ।