बुधवार, 30 अप्रैल 2025

सफेद घोड़े पर कल्कि

 सफेद घोड़े पर कल्कि


एक फिल्म आई है कल्कि
यू-ट्यूब पर स्वत:स्फूर्त दौड़ती
ढेर सारी रेलों की घुड़सवार सेना के साथ 
अपनें दिव्यांग और प्रतिबंधित भक्तों की मुक्ति
और उद्धार  के लिए......

कुलीनतंत्र का एक विशेषाधिकारवादी अश्लील सपना
उसकी अवधारणा  की  परिकल्पना में ही छिपा हुआ है
उस दिव्य घुड़सवार की प्रतोक्षा में वे भी बैठे  हैं
युक्तियों का मजाक उड़ाते हुए 
बढ़कर मनुष्य के रूप में भी सक्रिय और सृजनरत 
कुदरत के करिश्मों को देखने की आंखें  खो बैठे हैं 
जिनका विश्वास है कि  बढ़ती हुई  जनसंख्या के परिसीमन 
या समाधान के रूप में संतति -निरोधकारी उपकरण
उसकी इच्छा और सुझाव  के बिना ही
अवैध रूप से मनुष्य द्वारा बना लिया गया होगा.....

इनमें वे भी शामिल हैं
जिनके पूर्वजों नें किसी वैज्ञानिक की तरह
संक्रमित शिशु  की प्राणरक्षा के लिए 
खतना जैसे आपरेशन  को पहली बार घटित किया
वे अब वैज्ञानिक अनुसंधानों पर आधारित  उत्पादों को
कुदरत के कानून  से संबंधित नहीं मानते .....

वे सीधे ही रोमांचित होने के लिए 
कयामत पा प्रलय का दिन देखना चाहते हैं 
बढ़ते  आवारा मानव-उत्पादन के साथ
घटते जीवन-संसाधन और 
नष्ट होते पर्यावरण को नहीं देख पाते
समझदारी भरी युक्तियों का बहिष्कार करते हैं

कि रोगों और युद्धों में मारे जाने के सापेक्ष
प्रजाति के रूप में अतिरिक्त बचे रहने के लिए 
संख्या-वृद्धि में ही सुरक्षा है-मध्यकालीन असुरक्षाबोध से उपजा बोध 
हर बढतें कदम के साथ
कुदरत को आपराधिक कयामत के लिए विवश कर रहा है
ज्यों उसका व्यसनी पम्प  सृष्टि चक्र के टायर-ट्यूब में
गर्म होकर फट जाने के लिए लगातार हवा भरे जा रहा है
वे उसका चीथड़े में उड़ना देखना चाहते हैं 
एक आवारा अनुशासनहीन दंगाई  और परस्पर लड़ती 
घटिया आत्मघाती भीड़ ही  ज्यों 
उनकी सारी समस्याओ का समाधान हो !

निष्कर्ष यह कि 
एक तलवार वाले घुड़सवार-कल्कि-मेंहदी के रूप में 
ये सभी कयामत या प्रलय के रूप में
एक भयावह काल्पनिक नरसंहार के घटित होने की 
किंकर्तव्यविमूढ़ प्रतीक्षा कर रहे हैं
एक सामूहिक अंत की आत्महंता कामना के साथ 
एक नए अज्ञात आरम्भ की प्रत्याशा लेकर
और इसे ही वे कुछ कयामत कहते हैं
कुछ नए  युग  का आरम्भ....

जबकि उनके ही बीच में छिपे रूप में  सक्रिय हैं
अनेक वैज्ञानिक ऋषि और अवतार 
रतन टाटा और एलन मस्क सहित  
अनेक  दिव्य नायक कर रहे हैं 
वैश्विक वैष्णवी रूपान्तरण का व्यापार ...
कि इस दुनिया को बदलने और बचाने की जिम्मेदारी 
किसी एक कुलीन नायक के  ही  नाम नहीं है
इस थरती पर जन्म  लेने वाले हर आम जन के नाम  है ।

कि मानव-जाति इस दुनिया को बदलने के लिए 
संस्थागत कल्कि पैदा करती रहती है 
बदलती है यह दुनिया अनाम कल्कियों के सामूहिक अंशदान से ।

@रामप्रकाश कुशवाहा 
 
31/07/2024