शुक्रवार, 4 सितंबर 2015

स्त्री

पुरुष वंश तो स्त्री अंश
मतकर हत्या रे नृशंस
नारी जगत की सिरजनहार
कुदरत का अनुपम उपहार
नारी नर पर भारी है
बचपन की रखवारी है
स्त्री है दुनिया की सार
बंद करो सब अत्याचार
नारी नहीं लाचारी है
हिम्मत की चिंगारी है
नारी नहीं बेचारी है
जीवन की फुलवारी है
नारी नर पर भारी है
जननी है अधिकारी है
चूड़ी कंगन बिंदी बंधन
आसमान का करेगी लंघन -

रामप्रकाश कुशवाहा