बुधवार, 30 अप्रैल 2025

ईश्वर-समाज

 ईश्वर-समाज

समाज ईश्वर की तरह और
ईश्वर समाज की तरह व्यावहार करता है
कभी ईश्वर के नाम पर समाज  गल्तियां करता है
कभी समाज  की गल्तियों के लिए
ईश्वर बदनाम होता है
उसके नाम पर हिलता है जो हर पत्ता
हिला हर पत्ता उसी के नाम होता है

दुनिया की हर सत्ता, उसका शासन और संविधान
ईश्वर के होने की नकल है
निरंकुश सत्ता में  ईश्वर होने की अक्ल चाहे न हो
उसके अधिकारों की निरंंकुुश और आपराधिक मुद्राएं
सत्ता के ईश्वर होने का स्वांग और दखल है
इसलिए उसकी सम्प्रभुता कोई बीता हुआ कल नहीं
अभी-अभी गुजरता हुआ आज और
आने वाला कल है ....

इस तरह दुनिया के सारे नास्तिक झूठे हैं
क्योंकि दुनिया की सारी सरकारें
ईश्वर के राज्य का छद्म पुरावशेष हैं
वे सिर्फ कहनें के लिए देश हैं
वे स्वयं को धर्म निरपेक्ष कहें या नास्तिक
उनके सारे मुखौटे,मुद्राएं,क्रियाएं  और व्यवहार
सर्वशक्तिमान ईश्वर का ही अनुकरण और वेश है

क्योंकि ईश्वर अपनी अवधारणा में किसी के प्रति भी
जवाबदेह नहीं है
इसीलिए दुनिया की सारी सत्ताएं
भ्रष्ट,गैरजिम्मेदार और अपने हत्यारेपन का लुत्फ उठाती है
जैसाकि चीन ,कोरिया,रूस,इजराइल और ईरान में है ....

26/08/2024