गुरुवार, 20 जून 2019

प्राणायाम

प्राणायाम को कुछ लोग जरूरत से ज्यादा आध्यात्मिक रहस्यीकरण करते हैं । इससे उन वैज्ञानिक लाभों की ओर हमारा ध्यान नहीं जाता जिसका सिर्फ़ मनोवैज्ञानिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्व है ।
      अनुलोम-विलोम  द्वारा  श्वास-चक्र पर नियंत्रण के प्रयास मे हमारा ध्यान बाह्य लोक के प्रपंच से कटकर अपने शरीर क अभियान्त्रिकी से होते हुए विशुद्ध अस्तित्व-बोध तक पहुँचता है । दूसरा लाभ यह होता है कि हम श्वास रोककर जब आक्सीजन का कृत्रिम अभाव पैदा करते हैं तो शरीर कुछ-कुछ वैसी ही क्रिया- प्रतिक्रिया करता है जैसी कि तिब्बत की अधिक ऊंचाई पर रहने वाले  पर्वतीय निवासियों में कम आक्सीजन की स्थिति मे लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन शरीर बढा देता है । इससे कम आक्सीजन मे भी फेफडों का ग्राह्यता स्तर बढ जाता है । कहना न होगा कि कबड्डी के खेल और देर तक की गोताखोरी से भी कुछ ऐसा ही वैज्ञानिक लाभ मानव-शरीर को मिलता है ।

रामप्रकाश कुशवाहा
20-06-2019