सोमवार, 30 जून 2014

गंगा किनारे का भ्रमण

आगे कोई भी घाट
शेष  नहीं है
सिर्फ बहती हुई गंगा का अंतहीन प्रवाह है
समय की तरह
अब मुझे भी वापस लौट चलना चाहिए
प्राकृत गंगा से जनगंगा की और
यानि जीवन के शुद्ध वर्तमान में ...