अकेले पन और अलगाव की साधना
अकेले होने और अलगाव की
एकाकी साधना उचित नहीं है
फिर भी भीड़ के भगदड़ में
कभी भी बदल जाने की आशंकाओं को देखते हुए
उसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए
जागना और बचकर भागना जरूरी है
रोमांच के बावजूद
उचित दूरी बनाए रखना
सुरक्षित बचे रहने की मजबूरी है !
सबसे अच्छा यह है कि
विवेक की स्वतंत्रता के साथ
अच्छी क्रियाओं और कार्यों में जीवन बीते
पिछली पीढ़ियों से बहुत कुछ लिया और पाया है तो
अगली पीढ़ियों को भी बहुत कुछ देने और बांटने से न चूकें !
सामूहिकता में विलय और विसर्जन
जीवन का लक्ष्य हो
लेकिन वह भेड़ियाधसान
यानी विवेक रहित भीड़ की अंधी अनुगामिता के रूप में न हो
तो ही अच्छा !
18/12/2024