मंगलवार, 7 जनवरी 2014

प्रेम-पारिभाषिकी

उजड़े हुए लोग कभी प्रेम नहीं कर पाते
उजड़े हुए लोग प्रायः अभिशप्त  होते  हैं दुनिया में कहीं भी न बस पाने के लिए
उजड़े हुए लोगों की कहीं भी कोई दुनिया नहीं होती
उजड़े हुए लोग कभी भी नहीं कर पाते किसी से प्रेम
उजड़े हुए लोग कभी भी उजड़ जेन की आशंकाओं को जीते रहते हैं ....

जबकि प्रेम करना सिर्फ आकांक्षा ही नहीं
एक आदत भी  है
हर पल के जीवन की आवृत्ति में
खोज है सुख और विश्वास के पर्यावरण की
बसने की बस्ती में

अनुभूति के एक पर्यावरण से
अनुभूति के दूसरे पर्यावरण में
जीवन के  स्थानांतरण के बाद
खोए हुए जीवन की तलाश है
जैसे कि माँ से पत्नी तक एक पुरुष की
या पिता से पति तक एक स्त्री की
प्रिय संबंधों का पुनरावर्तन है

प्रेम किसी अन्य अस्तित्व की
अपने  अस्तित्व में स्वीकृति है
आत्मीयता का उन्मुक्त आमंत्रण है
अपने होने का सहचर विस्तार है
केवल इसी अर्थ में प्रेमी होना एक स्वभाव भी है

कुछ लोग शिकारियों कि तरह
दूसरों के भीतर अपने हिस्से का प्रेम तलाशते हैं
और प्रेम के हत्यारे यानि बलात्कारी बन जाते है