रविवार, 14 दिसंबर 2014

कविताएँ

जीवन के पक्ष में ....



ड्राइवर रोक दो अपनी गाड़ी 
निकल आओ अपने गति के नशे से 
रुक जाने दो यह समय
जो हिंसक गति से 
किसी के जीवन को रौंदता हुआ 
अपनी मंजिल तक पहुँच जाने का 
महत्वाकांक्षी स्वप्न देख रहा है .....

देखते नहीं -जीवन गुजर रहा है सामने से 
घूमती धरती के साथ-साथ 
समय से होड़ लेने के लिए 
 प्रजाति के रूप में दौड़ लगाता  हुआ जीवन-समय

ड्राइवर ब्रेक पर अपने पंजे कसो और 
अब रोक दो अपनी गाड़ी 
देखते नहीं सद्यः प्रसूता  कुतिया माँ के 
दूध भरे गदराए -शरमाए ललछौहें स्तन 
उसे उसके बच्चों के पास सकुशल पहुँचने दो 
हो  जाने दो ट्रैफिक जाम 
जीवन की चिरंतन यात्रा के पक्ष में .....



स्वयं के पक्ष में .





वाह भाई साहब !

यह भी खूब रही कि 
मैं स्वयं को पुरी तरह निरस्त कर दूं 
आपके पक्ष में ?

आप समय की बिना किसी परीक्षा के 
स्वयं को पुरी तरह 
उत्तीर्ण देखना चाहते हैं 
आप चाहते हैं कि आपको छोड़कर 
शेष सारे लोग नेपथ्य में 
यानि कैमरे के पीछे चले जाएं 
कि बाकी सारे लोग डिलीट हो जाएँ आपको छोड़कर 

क्या आपको पता है कि यह समय
आपकी एकल आवाज से उब सकता है 
कि जिस समय स्वयं रच रहे हैं 
उसी समय दूसरों को रचने से मना करते हुए 
वाचित हो रहे हैं दूसरों के सृजन से 
कि एक दिन आप थक जाएंगे रचते रचते....

चलो माना  कि आप अतीत की दुनिया के विश्व-विजेता हैं 
लेकिन भविष्य का कोई नया सृजन 
आपके सारे प्रायोजित एकाधिकार के 
तिलस्म को तोड़ सकता है 

आप किस-किस को 
अपने पक्ष में 
निरस्त हो जाने के लिए प्रार्थना करेंगे भाई साहब !