जब सब निष्ठाएं संदिग्ध हो गई हैं
मैं किसी को भी अपना विश्वास कैसे सौंप सकता हूँ !
मुझे मेरे पास रहने दो
मैं अभी किसी पर भी
विश्वास नहीं कर पाता-
न ही ईश्वर
न समय
न समाज
मैं स्वयं को
अपने मूल स्वभाव में
बचा लेना चाहता हूँ
आप यदि कहना चाहेंतो कह सकते हैं कि
यही मेरी आध्यात्मिकता है
मैं डरता हूँ कि
हर विश्वास
मुझे बेवकूफ बना सकता है
और हर अविश्वास असामाजिक ...
मैं किसी को भी अपना विश्वास कैसे सौंप सकता हूँ !
मुझे मेरे पास रहने दो
मैं अभी किसी पर भी
विश्वास नहीं कर पाता-
न ही ईश्वर
न समय
न समाज
मैं स्वयं को
अपने मूल स्वभाव में
बचा लेना चाहता हूँ
आप यदि कहना चाहेंतो कह सकते हैं कि
यही मेरी आध्यात्मिकता है
मैं डरता हूँ कि
हर विश्वास
मुझे बेवकूफ बना सकता है
और हर अविश्वास असामाजिक ...