शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

त्रिलोचन

मैंने भी कवि त्रिलोचन को जिया है
००००००००००००००००००००००००
सीधा-सादा कवि किसान-छवि
कवियों के मुखिया जैसा
कविता की पगडंडी पर हो पैदल चलता
जीवन के सच्चे टुकड़ों से कविता बुनता
इतना सहज कि कभी कहीं से कवि न लगता
कवियों के बीच शुद्ध सच्चाई जैसी
सच्चे कवि प्रिय त्रिलोचन की कमाई ऐसी....

( बांदा में आयोजित केदार सम्मान कार्यक्रम में दो दिनों तक मैंने उन्हें जिया था.
उनके काव्य में बहुत सी छवियाँ उनके ननिहाल (डोभी क्षेत्र,जौनपुर) की भी थी,
इसे उन्होंने बातचीत में स्वीकार किया था.
मैं उनके ननिहाल का हूँ यह जानकर वे अति प्रसन्न हुए थे)