होना,सभी के साथ होना और सृष्टि-बीज !
मैं सच ही नहीं जानता
कि मैं कौन हूँ!
सिर्फ पिता के पिता का साक्षात्कार
किया है मैने
मुझे बताया गया है कि
इस जीवन-जन्म यात्रा का महत्तर और वृहत्तर जनक
मेरे पिता नहीं कोई और है-
चाहे उसे ईश्वर कहें या प्रकृति.....
वैज्ञानिक
सृजन और विकास की एक लंबी यात्रा में
जीवन का होना देखते हैं..
कि यहाँ कोई भी किसी दूसरे जैसा नहीं है
वैज्ञानिक जीवन के रहस्यों की खोज करते हुए
रसायनों के विशिष्ट संयोजन से बनें जीन तक पहुँच गए हैं
यानी कि हर जीवन की निर्मित के आधार विशेष जीवन-सूत्र
जो हर होने की गणितीय विशिष्टता और अमरता की पुष्टि करते हैं
यहां अलग-अलग वर्णौ से मिलकर बने हुए
अलग-अलग भिन्न अर्थ- बोध वाले शब्दों की तरह
हर जीवन एक अलग संयोजन और अलग जीन-शब्द है
गणित का एक निश्चित अंक है
और नियत जीन-संयोजन के बाद
हर अस्तित्व का सैद्धांतिक पुनर्नियोजन संभव है
लगभग चौंकाते हुए पुनर्जन्म की तरह !
यद्यपि मेरी संस्कृति का परम्परागत विवेक
जो आत्मा की अमरता के साथ
सृजन के अनुवर्तन में विश्वास करता है
उसके अनुसार तो अनश्वर आत्मा ही
वह प्रलयकालीन जीवन-बीज हो सकता है
जिसकी संरचनात्मक स्मृति ही
अमूर्त ऊर्जा को मूर्त भौतिक जीवन में
रूपान्तरित अभिव्यक्ति का
एक नयी जीवन-सृष्टि का आधार बनती है !
आत्मा यानी कि मृत्यु के बाद भी अस्तित्वमान
जीवन-विद्युत की वह आवेश-रूप-सचेतन ऊर्जा
जिनमें दर्ज रहते है
जीवन की संरचनात्मक विशेषताओं के प्रभावी गुणसूत्र
जो किसी साफ्टवेयर की तरह जीवन-विशेष की
ब्रह्मांडीय स्मृति को संरक्षित और सुरक्षित करतेः है !
मैं अपने और इस दुनिया के होने को लेकर
इतना जरूर जानता हूँ
कि हममें से कोई सामान्य ,साधारण या उपेक्षणीय नहीं है
सभी को ब्रह्मांड की समस्त संभावनाओं ने मिलकर रचा है
मेरे पिता के पिता की जीवन-श्रृंखला के आदिम पूर्वज पितामह और माता की माता की जीवन-श्रृंखला की
आदिम पूर्वज नानीमही को भी
यहां तक कि अरबों वर्षों के सृजन-विकास के उत्तराधिकारी
अपने पालित कुत्ता,अपनी गाय और अपने गुलाब को भी
जिनका होना मुझे उतना ही रोमांचित और चकित करता है
जितना कि अपना ....
मैं वास्तव में नहीं जानता
कि मैं कौन हूँ
लेकिन जो भी हूँ
सम्पूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिनिधि और उत्तराधिकारी हूँ
सिर्फ अकेले-अकेले ही नहीं
अकेले में भी सभी के साथ
सभी की ओर से हूँ !
22/08/2024