सभ्यता-विमर्श -IN THINKING WAY-civilisational discourse

जीवन का रास्ता चिन्तन का है । चिन्तन जीवन की आग है तो विचार उसका प्रकाश । चिन्तन का प्रमुख सूत्र ही यह है कि या तो सभी मूर्ख हैं या धूर्त या फिर गलत । नवीन के सृजन और ज्ञान के पुन:परीक्षण के लिए यही दृष्टि आवश्यक है और जीवन का गोपनीय रहस्य । The Way of life is the way of thinking.Thinking is the fire of life And thought is the light of the life. All are fool or cheater or all are wrong.To create new and For rechecking of knowledge...It is the view of thinking and secret of life.

बुधवार, 16 जनवरी 2019

भाषा और समाज

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रामप्रकाश कुशवाहा

तुमको जीना यथास्थिति को जीना है

तुम्हारी भक्ति स्वीकृति है


दूसरों की सत्ता की अधीनता की


तुमको जीना


सहमति है पूर्ण यथास्थिति से


और पूरी तरह कर देना है स्थगित स्वयं को


दूसरों की इच्छा के सम्मान के पक्ष में


समर्पित होकरव्यक्तित्वहीन हो जाना है पूरी तरह.…



हे प्रभु (वर्ग)!


मैं असहमत हूँ


असंतुष्ट हूँ तुम्हारी बनायीं दुनिया से


इसलिए तुम मेरी अश्रद्धा के लिए


मुझे नरक देने की मत सोचो।


आखिर मुझे भी तो अपनी दुनिया


रचने का अधिकार मिलना ही चाहिए


विकल्प रचने का अधिकार


अपने हिस्से की सृजनशीलता से



०००००००००००००००००००००००००००००००००००००
------------------------------------------

एक अविश्वसनीय अवसरवादी और घटिया जीवन-समय को
सिर्फ़आलोचना लिख कर मैं नहीं बदल सकता
उसे गलियां देते-देते मैं थक जाऊंगा
मेरे चुप रह जाने से भी
चतुर्दिक फ़ैल जाएगी बेसुरी आवाज
मैं सिर्फ एक संगीत
एक वैकल्पिक उपस्थिति भर बनना चाहता हूँ
मैं दिखना चाहता हूँ घृणा में डूबी और
उबी हुई नज़रों को
एक संभावित वैकल्पिक उल्लास की तरह ....)

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