सोमवार, 20 अप्रैल 2020

भारत में प्रेम

तलाश 

जब यौवन
उफनती नदी की बाढ़ की तरह था
जब अन्तः स्रावी ग्रन्थियाॅ 
पागल नृत्य कर रही थीं 
जब देह में  सबसे अधिक बन रहे थे
प्यार के  मनोरसायन 
जब मैं  तुम्हारे
यानी अपनी पूरी प्रजाति की रक्षा के लिए
सारी दुनिया से लड़ सकता था
तब तुम कहाँ थी मेरा प्यार !
जब मैं  भटक  रहा था तुम्हारी तलाश में 
नगर-वन उपवन 
उन्मन-अनुमन
तुम्हें  कहाँ छिपा रखा था मेरी प्रजाति  ने  ?

योग्यता और तैयारी 

प्रेम 
प्रजाति की रक्षा के लिए तपस्या है
प्रेम अस्तित्व का आनन्दपूर्ण उत्सव है 
प्रेम अभिभावक बनने का जोखिम उठाने की तैयारी है
मेरा यौवनकाल 
प्रेम के लिए योग्यता अर्जित करने की 
तैयारी में चला गया