मंगलवार, 1 नवंबर 2016

कुछ सूक्तियां मैंने भी रची हैं -

जिंदगी के पक्ष में होना 
बहती हुई नदी के पक्ष में होना है 
अभी बिलकुल अभी के जीवित वर्त्तमान के पक्ष में होना है 
एक जलते हुए जीवन के बुझने की चिंता के साथ जीना है 
करना है आँधियों से सीधा संवाद 
अन्धकार में डूबे एवं अपने गंतव्य को जाते रास्ते से चिपके रहना है
उजाला होने तक या बिना उजाले के भी
चलते जाना है अपनी चुनी हुई राह
जिन्दगी के पक्ष में होना
अतीत की सूखी हुई नदी के गीत गाना नहीं है
जिंदगी के पक्ष में होना
ताजी और भीगी हुई नदी से सीधे बात करना है .






कुछ सूक्तियां मैंने भी रची हैं -


० यदि स्वर्ग का कोई रास्ता है तो वह कठोर परिश्रम के नरक से होकर ही गुजरता है .
० दुर्भाग्य को नहीं होतीं आँखें कि वह
 निरंतर असफलताएँ देने के लिए मनुष्य के भाग्य की निगरानी करता रहे .
० बौड़म दास की कुटिया 
दुनिया हुई गजेडी
                                                                                                                 रामप्रकाश कुशवाहा







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