मैं नहीं जानता कि वे स्वार्थ में हैं या प्रेम में
वे भय में हैं या विनम्रता में
उनका विनम्र एवं पवित्र समर्पण मुझे अभिभूत करता है
उनकी आस्था मुझे ईर्ष्यालु बनाती है
उनका विश्वास मुझे अविश्वास से भर देता है
हे प्रभु !क्या चमत्कार है कि
ये पीढ़ी दर पीढ़ी
सदियों से छले हुए लोग हैं
उनकी आस्था अटूट है
और उनकी जनसँख्या पर्याप्त
और वे सभी चुपचाप अपनी प्रजाति कि अमरता के लिए
समर्पित हैं
मैं जनता हूँ कि वे बार-बार मारे जाने के बावजूद
बचे रहेंगे
कि अस्तित्व की इतनी पुनरावृत्ति है कि
इतनी दुर्घटनाओं -आशंकाओं के बावजूद वे सुरक्षित हैं
हे प्रभु ! इतनी क्रूरता के बावजूद वे कितने आश्वस्त एवं आभारी हैं
उनकी अच्छाइया सारी बुराइयों पर
और सारी असुविधाओं के बावजूद
उनका जीवन उनकी मृत्यु पर भारी है।
वे भय में हैं या विनम्रता में
उनका विनम्र एवं पवित्र समर्पण मुझे अभिभूत करता है
उनकी आस्था मुझे ईर्ष्यालु बनाती है
उनका विश्वास मुझे अविश्वास से भर देता है
हे प्रभु !क्या चमत्कार है कि
ये पीढ़ी दर पीढ़ी
सदियों से छले हुए लोग हैं
उनकी आस्था अटूट है
और उनकी जनसँख्या पर्याप्त
और वे सभी चुपचाप अपनी प्रजाति कि अमरता के लिए
समर्पित हैं
मैं जनता हूँ कि वे बार-बार मारे जाने के बावजूद
बचे रहेंगे
कि अस्तित्व की इतनी पुनरावृत्ति है कि
इतनी दुर्घटनाओं -आशंकाओं के बावजूद वे सुरक्षित हैं
हे प्रभु ! इतनी क्रूरता के बावजूद वे कितने आश्वस्त एवं आभारी हैं
उनकी अच्छाइया सारी बुराइयों पर
और सारी असुविधाओं के बावजूद
उनका जीवन उनकी मृत्यु पर भारी है।