शनिवार, 7 दिसंबर 2019

भारतीय धर्म का तंत्र और चरित्र

भारतीय धर्म  का तंत्र और चरित्र 


भारत मे धर्म का तंत्र प्राचीन काल से ही  दो समानान्तर संगठनों पर अवलम्बित रहा है-जाति और मठ ।  इसमे जाति तो स्वयं को सनातनी कहने वाली ब्राह्मण जाति द्वारा संचालित है जबकि मठ व्यवस्था बौद्धों के संघ से होती हुई आश्रम व्यवस्था तक जाती है । लेकिन  आश्रम व्यवस्था के भी सर्वाधिक प्रत्यक्ष  उत्तराधिकारी  ब्राह्मण  जाति ही है । अधिक संभावना यह है कि आश्रमों के संचालन के लिए राजस्व या शुल्क आधारित न होकर भिक्षा और दान की अर्थव्यवस्था  का लाभ  उठाते हुए  बुद्ध ने  संघ स्थापित किए ।