प्रेम कोई कार्य नहीं कि उसे किया जाय ,वह तो एक मनो -रासायनिक घटना है | फिर जबरदस्ती प्रेम करने में पिटने और दूसरी ओर से नापसंद किए जाने का व्यावहारिक खतरा भी है | हम जिस दुनिया में रहते हैं उसमें सामाजिक रूप में प्रेम प्रायः सापेक्ष ही दिखता है निरपेक्ष नहीं | इसी आधार पर सम-विषम प्रेम की कल्पना की गयी है | इसी तरह विवाह भी सृजनशील और संघर्षमय जीवन का आरम्भ है |विवाह का सुख एक सहवर्ती या साथ-साथ की गयी यात्रा के सुख जैसा ही हो सकता है | जिसमें चलने , थकने और जोखिम उठाने तक के लिए तैयार रहना चाहिए | सिर्फ संबंधों का वर्त्तमान ही नहीं बल्कि उनकी स्मृतिजीविता भी वैवाहिक जीवन के स्थायित्व का आधार है |.उसमें वर्त्तमान के साथ -साथ संबंधों के इतिहास को भी जिया जाता है | सिर्फ ऐन्द्रिय या अतिरेकपूर्ण सुखवादी जल्दी ही अवसाद और मोहभंग के शिकार हो सकते हैं तथा तलाक के भी
जीवन का रास्ता चिन्तन का है । चिन्तन जीवन की आग है तो विचार उसका प्रकाश । चिन्तन का प्रमुख सूत्र ही यह है कि या तो सभी मूर्ख हैं या धूर्त या फिर गलत । नवीन के सृजन और ज्ञान के पुन:परीक्षण के लिए यही दृष्टि आवश्यक है और जीवन का गोपनीय रहस्य । The Way of life is the way of thinking.Thinking is the fire of life And thought is the light of the life. All are fool or cheater or all are wrong.To create new and For rechecking of knowledge...It is the view of thinking and secret of life.
मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017
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