शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2017

आदमीजात से ....

श्रेष्ठता एक अपराधपूर्ण स्वांग है
और हास्यास्पद भी
जो एक अच्छे-भले आदमी को जोकर बना देती है ...
कैसे कि -लाल मुंह वाला बन्दर
काले मुंह वाले बन्दर से श्रेष्ठ कैसे हुआ !
यद्यपि माना कि लाल मुंह वाला बन्दर
अपने गोरेपन के कारण
सवर्ण कहा जा सकता है
लेकिन वह काले बन्दर के अपने होने के वजूद को
कमतर कैसे कर सकता है ?
माना कि बंदरों में भी हम
बबर शेर की तर्ज पर बबर बन्दर हैं
और हम बर्बर भी कम नहीं ......
यह भी हम आदिकाल से ही
स्वांगपूर्ण रहे हैं
मरे हुए खालों में छिपकर
हमारे पुरखों नें अपनी जान बचायी है
लेकिन आज की तारीख में भी
जिन जातियों के नाम हिंसक पशुओं के नाम पर हैं
यानि कि वे बबर बन्दर जो सिंह होने का स्वांग करते रहे हैं
उन्हें अब शर्म आना ही चाहिए
क्योंकि जातीय स्वांग को सच मानते हुए वे
कुछ अन्य बबर बंदरों के
भेंड़ और बकरी होने की अफवाह फैलाते आ रहे हैं|
रामप्रकाश कुशवाहा
(30 जनवरी 2002 की लिखी एक कविता -डायरी के पृष्ठों से)