सोमवार, 15 अप्रैल 2024

बंजार


जब तक बीमार नहीं पड़ते है
दवा की दुकाने
बेमतलब की खुली दिखती हैं
जब तक जल्दी पहुंचनें की गर्ज न हो
गुस्सा ही दिलाते हैं
ट्रैफिक जाम कराने वाले
मनबढ, गतिवाधी आवारा वाहन
कौन कहता है कि वह तुम ही हो !
जिसके लिए जो कुछ भी है
जैसा भी लिखा गया होगा. ....
उसे अपने पाठकों का इंतजार है
जबकि तुम्हें कुछ और पढना है
आगे अभी बढ़ना है
इधर रुकना बेकार है
तुम्हें तो दूसरी गली के बाद बांएं मुड़ना है
तुम बाजार में हो
बाजार सिर्फ गिने-चुने से नहीं बनता
सबकी अपनी-अपनी जरूरतें है
अपनी-अपनी तलाश है
उसे मैने चिढ़-चिढ़ कर सिर धुनते
समय गिनते देखा है
जिसकी शिकायत है कि
कोई उसे नहीं चुनता !