ति कुण्ठित लोगों को चिढा कर दुखी भी करती है।
उनका दुख भी दूना करतीं हैं।
इसलिए इससे यथासम्भव बचे रहना ठीक है।
इसके बावजूद यह लोगों को सामूहिक रूप से पसन्द करने,अपने आदर्श को चुनने और उसका अनुसरण कर एकरूप आचरण करने वाले समाज के निर्माण और विकास का आधार भी है । यह सामाजिक शक्ति के निर्माण का भी आधार है । इसी अर्थ में यह प्रसिद्धि यानी श्रेष्ठ सिद्धि है ।
उनका दुख भी दूना करतीं हैं।
इसलिए इससे यथासम्भव बचे रहना ठीक है।
इसके बावजूद यह लोगों को सामूहिक रूप से पसन्द करने,अपने आदर्श को चुनने और उसका अनुसरण कर एकरूप आचरण करने वाले समाज के निर्माण और विकास का आधार भी है । यह सामाजिक शक्ति के निर्माण का भी आधार है । इसी अर्थ में यह प्रसिद्धि यानी श्रेष्ठ सिद्धि है ।