शनिवार, 16 नवंबर 2019

शब्द

शब्द तो हर किसी के पास होते हैं
लेकिन उन शब्दों की हैसियत
सभी के यहाँ
एक समान नहीं होती !
यानि कि शब्दों की अर्थवत्ता
किसी राष्ट्राध्यक्ष के भी
बचकाने हो सकते हैं शब्द
जबकि उसी देश के किसी गुमनाम -अनाम से
बच्चे के शब्द सयाने।
कभी शब्द आगे और ऊपर निकल जाते है व्यक्ति से
कभी भूलुण्ठित गिरे-पडे सिर धुनते है शब्द
शब्द ऐसे ही नहीं ब्रह्म है
ब्रह्म हैं कभी भी अपने प्रयोक्ता सवार को
सहसा गिरा देने की स्वतंत्रता के कारण
नौ दो ग्यारह हो जाने की शक्ति के कारण
हो जाते हैं गालियाँ बकने वाले के ही विरुद्ध
कि देखो लोगों
सबसे अश्लीलतम मनुष्य
यहाँ खड़ा बोल रहा है
इसके गन्दे दिमाग के प्रति सभी
सूचित संज्ञानित और अवगत हो !
शब्दों को उनके अर्थ और प्रभाव के लिए
तौला नहीं जा सकता किसी बटखरे से
उनका वजन सिर्फ उनके प्रयोक्ता के वजन
वजूद,आचरण और व्यवहार से ही जाना जा सकता है।
शब्द सदैव किसी ईमानदार सटीक जासूसी कुत्ते की तरह
सारी दुनिया छोड़कर
अपने मालिक का सही पता बता जाते हैं ।


रामप्रकाश कुशवाहा
14/011/2019