हर सुबह अखबार में छपता है
तीन मरे तेरह घायल
अखबार जो काली स्याही से छपे होते है
छिपा लेते है सडकों पर फैले हुए लाल रक्त ....
रोती हुई स्त्रियाँ और बच्चे
दूर कही खो जाते है
खबरों की भीड़ के पीछे
सुबह की गर्म चाय के साथ
हम अपने सुरक्षित बचे रह जाने की
खुशियाँ मानते हैं
खुशियां मनाते हैं कि
सुरक्षित बच गए है सारे स्वजन
कि अब भी बची हुई है
हमारे निकट संबंधों की दुनिया
हमारी जानी - पहचानी दुनिया बची हुई है
सड़क पर पड़ी लावारिस लाश के
अन्त्य कर्म के लिए
क्रमशः पुलिस है कुत्ते है कीड़े हैं
घटनाओं और बाहरी दुनिया से अलग हम जी रहे हैं
अख़बारों में छप जाने से बचते-बचाते
सुबह के अखबार और चाय के साथ
गुनगुनी प्यारी धुप के साथ
और अपनी बची हुई दुनिया के लिए
सभी के प्रति अंतहीन आभार के साथ
बैठे हुए दर्शक दीर्घा में