गुरुवार, 7 जुलाई 2016

दर्शक दीर्घा से

हर सुबह अखबार में छपता है
तीन मरे तेरह घायल 
अखबार जो काली स्याही से छपे होते है 
छिपा लेते है सडकों पर फैले हुए लाल रक्त ....

रोती हुई स्त्रियाँ और बच्चे 
दूर कही खो जाते है 
खबरों की भीड़ के पीछे 

सुबह की गर्म चाय के साथ 
हम अपने सुरक्षित बचे रह जाने की 
खुशियाँ मानते हैं 
खुशियां मनाते हैं कि 
सुरक्षित बच गए है सारे स्वजन 

कि  अब भी बची हुई है 
हमारे निकट संबंधों की दुनिया 
हमारी जानी - पहचानी दुनिया बची हुई है 

सड़क पर पड़ी लावारिस लाश के 
अन्त्य कर्म के लिए 
क्रमशः पुलिस है कुत्ते है कीड़े हैं 

घटनाओं और बाहरी दुनिया से अलग हम जी रहे हैं 
अख़बारों में छप जाने से बचते-बचाते 
सुबह के अखबार और चाय के साथ 
गुनगुनी प्यारी धुप के साथ 
और अपनी बची हुई दुनिया के लिए 
सभी के प्रति अंतहीन आभार के साथ 
बैठे हुए दर्शक दीर्घा में