सोमवार, 2 सितंबर 2019

पुनर्जन्म की अवधारणा

पुनर्जन्म की अवधारणा पर एक और  तरह से मै  सोचता हूँ । वर्णमाला के कुछ ही वर्णों के मेल से मानव-जाति ने लाखों शब्द बना डाले हैं । आर एन ए ,डी एन ए भी   कुछ वर्णों के मेल से बने शब्दों की तरह कोई विशिष्ट संरचना बनाते है । यह संरचना शब्दों और संख्याओं की तरह बढ़ती जाती है । क्योंकि यह आवृत्ति चक्र संयोग आधारित है  इसलिए हजारों पीढियों बाद या अरबों-खरबों की जनसंख्या मे समरूप  विशेषताओ वाली जैविक सृष्टि कर सकती है । यह वही व्यक्ति तो नहीं होगा लेकिन वैसा ही हो सकता है । यह आध्यात्मिक पुनर्जन्म से अलग जैविक पुनर्जन्म की व्यवस्था है । एक और बात मै सोचता हूँ । सारी मानव जाति म्यूटेशन की शिकार किसी कपि पूर्वज की सन्तानें हैं । एक ही चेतन सृजन का जैविक बहुगुणन । प्रजाति के रूप मे हमारा  वैयक्तिक पुनर्जन्म न सही लेकिन उस आदिम पुरखे का तो हो ही रहा है ।