रविवार, 28 फ़रवरी 2021

ईश्वर और धर्म

ईश्वर और धर्म सिर्फ आस्था और विश्वास का ही विषय न होकर  लंबे समय तक एक सम्पूर्ण जीवन-पद्धति के रूप में भी रहा है । एक सम्पूर्ण जीवन-पद्धति का विकल्प देने के कारण ही बौद्ध धर्म ईश्वर के सम्बंध में मौन धारण करते हुए भी एक धर्म माना गया । इसे सर्फ नास्तिक या आस्तिक कह जर निपटाया जाना संभव  नही है । ईश्वर और धर्म पर्यावरण निर्माता कार्यशील अवधारणा के रुप में रहे हैं । आज की कम्प्यूटर शब्दावली में  इन्हें सांस्कृतिक साफ्टवेयर की भुमिका में भी देखा जा सकता है । ऐसा सांस्कृतिक साफ्टवेयर जिसका विज्ञान युग की आधुनिक चेतना के  अनुरूप नवीनीकरण किया जन जरुरी है ।

तो निष्कर्ष यह रहा कि व्यक्तिपरक आध्यात्म,असामाजिक  तथा जातिवादी ईश्वर एवं धर्म का तंत्र  वर्तमान भारतीय समाज की प्रमुख सांस्कृतिक समस्या है ।