मध्य काल में भारत में रहने वाले जिसके भी पुरखे मुसलमान बनने से बच गए वे सभी आज हिन्दू कहे और समझे जाते हैं | हिन्दू नाम ही गैर मुस्लिम गैर ईसाई भारतीय प्रजा होने का सूचक है - ऐतिहासिक तथ्य यही है कि यह शब्द गैर मुस्लिम प्रजा का ही सूचक रहा है मुसलमान शासकों के लिए | मेरी दृष्टि में तो स्वयं को हिन्दू कहना भी अतीत की गुलामी है | इससे बेहतर तो होगा कि हम सब भारतीय मूल के लोग स्वयं को सनातनी ही कहें - सनातन धर्म के अर्थ में यह शब्द प्रचलित भी है | भारतीय मूल की जनसँख्या की आदिम स्वतंत्रता के सम्मान में | यही एक ऐसी सभ्यता है जो अनेकांतवादी है | इसमें ईश्वर को माना जा सकता है ,ईश्वर को नहीं माना जा सकता है ,चुटिया रखी जा सकती है ,चुटिया नहीं रखी जा सकती है ,कपड़ा पहना जा सकता है ,कपड़ा नहीं पहना जा सकता है ,दाढ़ी रखी जा सकती है दाढ़ी नहीं रखी जा सकती है ,बाल बढ़ाने और मुंडन कराने दोनों की ही स्वतंत्रता प्राप्त है ,नहा कर हुआ जा सकता है और बिना नहाए भी हुआ जा सकता है | पूजा किया जा सकता है और पूजा नहीं भी किया जा सकता है | जब राम ,कृष्ण और बुद्ध हिन्दू नहीं कहलाते थे तो उनके वंशजों को क्यों हिन्दू कहते हो भाई ! एक शानदार सभ्यता के शानदार अतीत का सम्मान करो | उसे सनातनी नहीं कह सकते तो हिन्दू कह कर अपमानित क्यों करते हो ? दूसरों को हिन्दू कहलाना पसंद हो तो हो मुझे तो हिन्दू कहे जाना ही अपनी महान सांस्कृतिक विरासत से पद-च्युत होना लगता है ....मुझे तो गर्व है स्वयं को भारतीय मूल का मुक्त मनुष्य होने पर | इसकी स्वतंत्रता विवेक और मुक्त मनुष्यता की भी स्वतंत्रता है | वसुधैव कुटुम्बकम की भारतीय अवधारणा भी इसी सच्चाई की उद्घोषणा है | यह सांस्कृतिक मुक्ति का भी क्षेत्र है | प्रकृति,ईश्वर और इतिहास नें जिसे अब तक मुक्त ही रखा है ,उसे आगे भी मुक्त रहने दो ! मेरी दृष्टि में भविष्य के संप्रदाय मुक्त आदर्श विश्व के लिए इस मुक्त जनसँख्या और उसके मूल्यों का पूरे स्वाभिमान ,श्रेष्ठता-बोध और वैचारिक स्वातंत्र्य के साथ बचे रहना जरुरी है| संकीर्णता के विरुद्ध मुक्ति के एक प्रेरक दृष्टान्त के रूप में ....
जीवन का रास्ता चिन्तन का है । चिन्तन जीवन की आग है तो विचार उसका प्रकाश । चिन्तन का प्रमुख सूत्र ही यह है कि या तो सभी मूर्ख हैं या धूर्त या फिर गलत । नवीन के सृजन और ज्ञान के पुन:परीक्षण के लिए यही दृष्टि आवश्यक है और जीवन का गोपनीय रहस्य । The Way of life is the way of thinking.Thinking is the fire of life And thought is the light of the life. All are fool or cheater or all are wrong.To create new and For rechecking of knowledge...It is the view of thinking and secret of life.
मंगलवार, 11 अप्रैल 2017
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