शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

प्रेम भारद्वाज के लिए


आँखें बाहर का देखने के लिए ही बनी हैं

जो आँखों के भीतर ही बस गया हो 

उसे कैसे देख पाएंगी वे