धार्मिक पाठ का सच
धर्माचार्यों और विचारधारावादियों का जीवन- बोध स्वस्थ नहीं होता । वे सच को छिपाकर एक काल्पनिक पाठ प्रस्तुत कर देते हैं । राम-कथा को ही लें तो उनका निरंकुश आदर्शवाद अमानवीय त्रसदियाॅ घटित करता जाता है ।
राम मोहग्रस्त यानि आज के शब्दों मे अतिसंवेदनशील पिता के स्पष्ट आदेश के वगैर वन को चल देते है और दशरथ की ह्रृदयगति बन्द होने से मृत्यु हो जाती है । आदर्शवाद की शुद्धता मे ही पत्नी सीता का परित्याग करते हैं । अन्त मे आदर्श के सैनिक अनुशासन मे ही भ्राता लक्ष्मण का परित्याग करते हैं । लक्ष्मण आदर्श पर खरा न उतरने की आत्मग्लानि लेकर सरयू में डूबकर आत्महत्या कर लेते है । स्वयं राम भी पीड़ा न सह पाकर आत्महत्या कर लेते है । रामकथा का साहित्यिक पाठ आदर्शवाद के अतिरेक को क्रूर और अमानवीय बताता है जबकि धार्मिक पाठ बिना कोई सबक लिए स्वर्ग मे जाना घोषित करता है । इसी तरह सीताहरण प्रसंग का साहित्यिक पाठ साधुओं पर विश्वास न करने का चेतावनीपूर्ण सन्देश देता है जबकि स्त्रियाँ इसे धार्मिक भक्ति भाव से पूरी श्रद्धा और विश्वास से सुनती हैं ।
राम मोहग्रस्त यानि आज के शब्दों मे अतिसंवेदनशील पिता के स्पष्ट आदेश के वगैर वन को चल देते है और दशरथ की ह्रृदयगति बन्द होने से मृत्यु हो जाती है । आदर्शवाद की शुद्धता मे ही पत्नी सीता का परित्याग करते हैं । अन्त मे आदर्श के सैनिक अनुशासन मे ही भ्राता लक्ष्मण का परित्याग करते हैं । लक्ष्मण आदर्श पर खरा न उतरने की आत्मग्लानि लेकर सरयू में डूबकर आत्महत्या कर लेते है । स्वयं राम भी पीड़ा न सह पाकर आत्महत्या कर लेते है । रामकथा का साहित्यिक पाठ आदर्शवाद के अतिरेक को क्रूर और अमानवीय बताता है जबकि धार्मिक पाठ बिना कोई सबक लिए स्वर्ग मे जाना घोषित करता है । इसी तरह सीताहरण प्रसंग का साहित्यिक पाठ साधुओं पर विश्वास न करने का चेतावनीपूर्ण सन्देश देता है जबकि स्त्रियाँ इसे धार्मिक भक्ति भाव से पूरी श्रद्धा और विश्वास से सुनती हैं ।