अस्तित्व के धरातल पर हम सब एक ही जीवन की पुनरावृत्ति है । सैद्धांतिक दृष्टि से देखें तो लगभग क्लोन । सृष्टि के लम्बे विकास क्रम ने जैव-विविधता भी दे दी है । इससे अस्तित्व की हर ईकाई मे भिन्नता आई है । इसने हमें पूरक भूमिका में ला दिया है। यहां तक कि स्त्री-पुरुष विभाजन भी प्रजाति की रक्षा के लिए ईकाई की भूमिका मे है। पुनरावृत्ति होने के कारण हम सब एक-दूसरे को अतिरिक्त और फालतू भी बनाते हैं ।हमारा अतिरिक्त या फालतू होना भी प्रकृति ने प्रजाति की सुरक्षा के लिए किया है ।लेकिन हमारा निकट अतीत जंगल की असुरक्षाओ से घिरा रहा है ।हिंसक जीवों की उपस्थिति के बीच हम समूह मे ही सुरक्षित रहे हैं । मुझे लगता है मित्रता इसी साझी सहजीविता का अवशेष हैं । आज तक का संस्थागत विकास बाजार संचित पूॅजी और वेतन के बल पर अकेले मे भी सुरक्षित जीने की सुविधा देता है लेकिन पोषण के लिए भी हम समाज निर्भर रहते ही हैं । यद्यपि शिकार और कृषि के माध्यम से एकाकी जीवन भी जिया जा सकता है लेकिन ऐसा जीवन अपवाद मे ही जिया जा सकता है । यह प्रजाति की मृत्यु की ओर ले जाएगी न कि प्रजाति की अमरता की ओर ।
मित्रता रिश्तो की एक अनन्य कोटि है । मित्र-धर्म अन्य धर्मों से बढकर और वास्तविक ही है । कहतें है किशोरावस्था-युवावस्था की मित्रता चिरस्थायी होती है । पुराण और इतिहास मे कृष्ण,,ईसा मसीह ,मुहम्मद ,सिकन्दर ,चंगेज खाँ और बाबर को उसका मित्रों ने ही विजेता बनाया था , न कि भाडे के सैनिकों ने । अन्तर्मुखी व्यक्तित्व होने के कारण मेरे वास्तविक मित्र कम ही हैं । फेसबुक वाले मित्र समानधर्मा तो हैं लेकिन वास्तविक जीवन मे उनके मित्र-धर्म की परीक्षा अभी नहीं हुई है । दरअसल फेसबुक वाले मेरे सम्मान के पात्र हैं ।इसलिए कि अधिकांश से उनकी प्रतिभा से मै प्रभावित हुआ हूँ । इनमे से बहुत से लोग वास्तविक मित्रता की ओर अग्रसर विचाराधीन मित्र है । संभव है कोई भविष्य का महत्वपूर्ण मित्र भी इनमें मिले । ऐसे सभी मित्रों को मित्र दिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ और बधाई ।
उन मित्रों को विशेष रूप से बधाई और शुभकामनायें जो मेरेो जीवन और परिवार के अभिन्न अंग बन चुके हैं ।
जीवन मे अनौपचारिक और अनन्य मित्र कुछ ही हो पाते हैं । वह भी स्वाभाविक समानधर्मा ही । अचार बनने की तरह मित्र बनने मे भी समय लगता है । बहुल अधिक अंतर्मुखी और एकान्तप्रिय लोगों को असुविधा भी होती है । मेरे सबसे महत्वपूर्ण मित्र वे ही हैं जिनके मित्र बने रहने की चिन्ता से रिश्ते पूरी तरंह मुक्त हैं ।
जीवन का रास्ता चिन्तन का है । चिन्तन जीवन की आग है तो विचार उसका प्रकाश । चिन्तन का प्रमुख सूत्र ही यह है कि या तो सभी मूर्ख हैं या धूर्त या फिर गलत । नवीन के सृजन और ज्ञान के पुन:परीक्षण के लिए यही दृष्टि आवश्यक है और जीवन का गोपनीय रहस्य । The Way of life is the way of thinking.Thinking is the fire of life And thought is the light of the life. All are fool or cheater or all are wrong.To create new and For rechecking of knowledge...It is the view of thinking and secret of life.
रविवार, 4 अगस्त 2019
मित्रता
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