हर कवि में कुछ प्राकृतिक मौलिकता और विशिष्टता होती है तथा कुछ अर्जित और परिवेशगत। कवि सदानंद शाही जी की काव्य-भाषा में भी एक प्राकृतिक और जैविक विशिष्टता है। इसका सत्यापन और साक्षात्कार उनके पुत्र ईशान की भाषा से भी किया जा सकता है। आम बोलचाल की भाषा को अपने ही अन्दाज़ में रूपांतरित और पुनर्प्रस्तुत करती हुई । लेकिन उनका और उनकी पीढ़ी का नायकत्व की दृष्टि से हाशिए और सीमान्त पर पैदा होकर वैकल्पिक नायकत्व की खोज और उसके लिए किया गया संघर्ष उन्हें महान न भी बनाता हो लेकिन महत्वपूर्ण अवश्य बनाता है । वे अस्तित्व की समानांतर सार्थकता के खोज के कवि है । वे अपनी एक कविता मे स्वयं को कविता का स्थाई या सर्वकालिक नागरिक न मानकर जब
अनागरिक कवि मानते है तो अपनी पीढ़ी की इसी नायक बनने की अवसर-विहीनता की नियति को ईमानदारी से स्वीकार करते है । अपनी इसी विशेष ऐतिहासिक अवस्थिति के कारण ही सदानन्द शाही की कविताएँ आम जन-जीवन की साधारण नियति के भीतर से समझदारी,संवेदना और सफलता के स्थानीय सूत्र तलाशती है और अपने समय के लिए नई तरह की सूक्तियाॅ रचती हैं । इसी दृष्टि से मैने उन्हे मध्यवर्ग और साधारण मनुष्यता का दार्शनिक कवि कहा है ।
उन्हे उनके साठ वर्ष पूरा करने पर बधाई ,शतायु होने की शुभकामनाओं के साथ।
जीवन का रास्ता चिन्तन का है । चिन्तन जीवन की आग है तो विचार उसका प्रकाश । चिन्तन का प्रमुख सूत्र ही यह है कि या तो सभी मूर्ख हैं या धूर्त या फिर गलत । नवीन के सृजन और ज्ञान के पुन:परीक्षण के लिए यही दृष्टि आवश्यक है और जीवन का गोपनीय रहस्य । The Way of life is the way of thinking.Thinking is the fire of life And thought is the light of the life. All are fool or cheater or all are wrong.To create new and For rechecking of knowledge...It is the view of thinking and secret of life.
मंगलवार, 28 अगस्त 2018
सदानन्द शाही
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