गुरुवार, 8 जून 2017

रावण : एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण

 संस्कृत में रावण रचित शिव-स्त्रोत उपलब्ध है और वीर रस से भरा बड़ा ही रोमांचक है |  |परंपरा यह मानती है कि रावण एक अच्छा कवि भी था | उसकी गलती इतनी ही थी कि वह माँ के कुल से अनार्य था और सीता के प्रेम में पड गया था और सही-गलत सब भुला बैठा | राम को रिश्तेदार बना लेने के लिए अपनी बहन सूपर्णखा भेजी तो उसे कुरूप बना कर वापस कर दिया गया | अपने बहन के अपमान का बदला लेने का उसने एक असफल प्रयास किया | यहाँ तक वह ठीक था लेकिन जब उसने राम के स्थान पर राम की निरपराध स्त्री सीता को उसकी सजा देनी चाही तो तत्कालीन समाज नें उसका साथ ही छोड़ दिया | यद्यपि यह एक सच है कि शिव का धनुष तोड़ कर शिव के अनुयायी समुदाय को आर्यों नें अपमानित किया था और वह भी रावण को विवाह में आमंत्रित कर उसके सामने धनुष तोड़वा कर |इस तरह आज के मनोवैज्ञानिक विश्लेषण में रावण का भी एक न्यायिक पक्ष बनता है |