शुक्रवार, 17 मार्च 2017

कहना तो पड़ेगा ...

जब सभी लोग एक ही दिशा में चलने लगते हैं
तो मैं अनहोनी की आशंका से घिर उठता हूँ
मुझे लगता है भगदड़ में मरेंगे सब
शास्त्रों में तो एक पिता को अपनी संतान के साथ भी
नाव पर बैठने का निषेध किया गया है
यहाँ तो चल रहा है पूरा का पूरा कुनबा ही
एक ही दिशा में और एक ही नाव पर सवार
और नदी की लहरें हैं कि किसी मगरमच्छ की तरह
घात लगाकर घूमती जा रही है .....

(भीड़ भीरु हूँ मैं
अभी मिलूंगा मैं सिर्फ अपने पास
स्वयं को दुहराने और बाहर निकालने का मेरा  कोई इरादा नहीं है)