उनके सोचने के सारे दरवाजों पर
लगे हुए थे दूसरों के ताले
उनके निकालने के सारे रस्ते बंद कर दिए गए थे ....
उनसे छीन लिया गया था उनका चेहरा
उनकी निरीह सामाजिकता को
एक बड़ी भीड़ के रूप में वापस सौंपकर
उतर दिया गया था बाजार की सडकों पर
एक जैसे लिखे गए नाम और तख्तियों के साथ ....
भगदड़ के बाद भी
कुचले जा चुके लोगों के हाथ में
सही-सलामत पड़ी थीं जो .
लगे हुए थे दूसरों के ताले
उनके निकालने के सारे रस्ते बंद कर दिए गए थे ....
उनसे छीन लिया गया था उनका चेहरा
उनकी निरीह सामाजिकता को
एक बड़ी भीड़ के रूप में वापस सौंपकर
उतर दिया गया था बाजार की सडकों पर
एक जैसे लिखे गए नाम और तख्तियों के साथ ....
भगदड़ के बाद भी
कुचले जा चुके लोगों के हाथ में
सही-सलामत पड़ी थीं जो .