बुधवार, 29 जुलाई 2015

अमर कलाम !



३० जुलाई २०१५ से टीपू सुल्तान के बाद कलाम की ऐसी दूसरी कब्र होगी जहाँ मैं किसी तीर्थ की तरह जाना चाहूँगा कल टीपू सुल्तान के बाद मेरी मातृभूमि को ऐसी दूसरी शख्सियत मिलेगी जिसे पाकर इस देश की मिटटी धन्य हो जाएगी ....कल के बाद इस मिट्टी को भी मैं सम्मान और आत्मीयता से देखूंगा ..मुझे याद है जब मैं टीपू सुल्तान के मकबरे के पास पहुंचा था तो अत्यंत भावुक हो गया था .मुझे अपने ऊपर ही खीझ हो रही थी कि मैं उसके समय में क्यों न पैदा हुआ और उसकी सेना में क्यों न हुआ .ऐसा ही मुझे लक्ष्मो बाई की झाँसी से गुजरते हुए भी होता है ..कल के बाद मुझे यह मिटटी और अर्थवान और आत्मीय लगने लगेगी -यह सोचकर कि इसी में कलम साहब सोये हैं .मैं जानता हूँ कि भारत की भूमि में बहुत से आतंकवादी भी दफ़न हैं .ऐसे आतंकवादी जिनके दफ़न होने ने भारत भूमि की पवित्रता को अवश्य ही दूषित किया होगा .कल के बाद यह मिटटी भी अब बहुत ही पवित्र हो जाएगी .मुझे इस्लाम से शिकायत नहीं रहेगी कि उसने एक भी इंसानियत को बढ़ानेवाला अच्छा आदमी क्यों नहीं पैदा किया !मैं नहीं जानता हूँ कि कला
म की बनायीं मिसाइलें आतंकवादियों की आत्माओं को नुकसान पहुंचा पाएंगी या नहीं लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि उनकी महान स्मृति ज़माने की सभी घटिया स्मृतियों को ढक लेगी ...एक बार फिर नमन अमर कलाम ! तुम्हें सलाम !